Saturday, December 24, 2011

किसे खवाब किसे याद रही होगी...


किसे खवाब किसे याद रही होगी नींद
के वो रात भर तेरी तस्वीर देखता रहा...
जगजीवन सोनू

बुझा हुआ या जलता हुआ रखना...


बुझा हुआ या जलता हुआ रखना,
खुली खिड़की दर पे दीया रखना।

इक उम्र के बाद उसी के शहर में हूँ,
ऐ! ज़िन्दगी मेरा पता रखना।

दुश्मनी में तुम बड़ा याद आये हो,
ऐ! दोस्त कुछ दिन यूँ ही फासला रखना।
जगजीवन सोनू

लौट के जब भी आओगे...


लौट कर जब भी आओगे,
मेरा दरवजा खुला पाओगे।

तेरे अन्दर तेरे बाहर हूँ मैं,
कहाँ जाओगे अगर जाओगे।

मैं जो भी हूँ तेरे सामने हूँ,
अब क्या मेरे पर्दो उठाओगे।
जगजीवन सोनू