Monday, January 11, 2010

मैं तिड़के शीशेयाँ नु कद तक सम्भालंगा

तू जद वी देख्दा हैं
तिडके होए शीशे ही
वेखदा हैं
पता नहीं किओं
तेनु मेरे
हथां दीआं
उंगलां विचों
लहू सिमदा
नजर नहीं औंदा....जगजीवन सोनू

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