Tuesday, March 1, 2011

आखरी चेहरा


(१)

तुम सच को चीख कर भी कहोगे

तो भी झूठ के पैर नहीं उग आएंगे

अपना चेहरा संभालकर रखना

शेहर में बहुत भीड़ है

कही तुम अपना वजूद न खो दो।

(2)

एक दो तीन चार और दस

सबके सब चेहरे गिन लो अशी तरह

ज़िन्दगी का सफर बहुत लम्बा है

तुम्हरे काम आएंगे

(३)

शेहर में भीड़ है सिर्फ पैरो की

पैरो का तुमसे कोई लेना देना नहीं

ये बात तुम कई बार कह चुके हो

चलो मंजिल पर बैसखिया राह देख रही हैं।

(४)

तुम्हे दर है

की कोई तुम्हारइ पीठ पर शूरा न घोप जाये

दोष तुम्हारा भी नहीं

पहले शहर होता था

अब भीड़ हो गई है

इसी भीड़ के किसी शोअर में

आखरी चेहरे की कथा लिखी जा रही है...

जगजीवन

No comments:

Post a Comment