Friday, April 1, 2011

फिर दुआओं की बरसात...



फिर दुआओं की बरसात हो जाती है,

फ़ोन पर जब माँ से बात हो जाती है।


चलो मुफलिसी ही सही कुछ भी कहो,

तू मुड़कर देख ले वही खैरात हो जाती है।


माँ रोज बैठ जाती है दर पे मैं भी क्या करूँ,

काम से आते आते रोज ही रात हो जाती है।

जगजीवन सोनू

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